Sunday, July 5, 2009

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते

अमृता प्रीतम अपने सपनों पर बहुत विश्वास करती थी .क्यों कि उनके देखे सपने उन्हें कोई न कोई अर्थ दे जाते थे | उनके सपनो की व्यख्या समय समय पर ज्योतिष आचार्य श्री राज जी ने अमृता से मिलने पर की थी |उनके इन्हों सपनो का लेखा जोखा उनकी किताब सितारों के संकेत में लिखा गया है उन्हीं सपनों में एक सपना का विश्लेष्ण उनकी और साहिर के बारे में भी है जब राज जी ने कहा कि आपने आपके सितारों की भाषा देख कर आपका और साहिर साहब के आत्मिक सम्बन्ध देख कर बता सकता हूँ ..अमृता ने कोई जवाब नहीं दिया पर एक नज्म ककी एक पंक्ति उनके बंद होठों में आ गयी ..मान सुच्चे इश्क दा है ,हुनर दा दावा नहीं ....राज जी ने आगे बताया कि आपका जन्म भी कर्क लगन का है और साहिर साहब का भी जन्म कर्क लग्न का है इस लिए आपके आत्म स्थान का मालिक भी मंगल है और साहिर जी का भी |यही मंगल ही कारण बना आपके और उनके आत्मिक सम्बन्ध का और मंगल ही वह कारण बना जिसने आपके सम्बन्ध को कोई सूरत आख्तियार नहीं करने दी....
अमृता ने पूछा वह किस तरह ..?
तब राज जी ने बताया कि आपके आतम तत्व के पंचम स्थान का स्वामी हो कर वह मंगल आपके लग्न में चला गया और वहां कर्क राशि के कारण वह नीच का मंगल हो गया और साहिर साहब का मंगल नवम स्थान पर जाने से वह परमात्मा स्थान पर गया परन्तु उसने अपने पृथ्वी तत्व के भार से उस परमात्म तत्व की सूक्ष्मता को दबा दिया इसी मंगल ने आपकी आत्मिक शक्ति भी कमजोर कर दी और आपका मिलना न हो पाया ..
अमृता को महसूस हुआ उस वक़्त जैसे उनकी एक नज्म की सतर वर्षों के माथे पर अंकित हो गयी थी ..

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते

किस्मत को नींद आ गयी ...
उन्होंने राज जी से कुछ नहीं कहा पर महसूस किया कि शायद यही मंगल ही किस्मत कि आँखों में भरी हुई नींद थी ..
उन्होंने सिर्फ सपने देखे और हर सपने की ताबीर सपने में हुई और उसकी बात उनकी नज्मों में ..

एह रात तेरे ख्याल विच गुजर के

मैं हुनें हुने जागी हाँ सते बहिश्त उसार के ..

फिर अमृता ने पूछा उनसे कि एक रहस्य की बात बताइए मैंने तो अपना पूर्व जन्म देख लिया साथ में साहिर का भी ..पर साहिर क्यों नहीं देख पाए यह सब ...
राज जीने कहा साहिर साहब न देख पाते यह सब ..क्यों कि उनके ब्रहस्पति पर न आत्म स्थान की दृष्टि है न परमात्मा स्थान पर ..और दूसरी बात कि आपका राहू पंचम में है ..पंचम स्थान पूर्वजन्म का होता है .यह छाया गृह मनुष्य की यादों को पूर्व जन्म से जोड़ देता है .परन्तु साहिर साहब का राहू चौथे स्थान पर है पंचम के व्यय में ..इस लिए पूर्व जन्म की किसी याद का चमत्कार उनके साथ हो नहीं सकता था ..
बस इस जन्म में आपकी मुलाक़ात का संयोग होना जरुरी था और फिर विरोध होना भी ...
अमृता को याद आया कि साहिर से पहली मुलाकातों के समय में उन्होंने एक नज्म लिखी थी

इंज किसे न बिछड़ डिठा

इंज कोई मिलिया अग्गे
होए संयोग वियोग इक्कठे
हंजुआं ये गल हंजू लग्गे ..............
और अब यह राज जी के कहे शब्द जैसे उस नज्म की व्याख्या कर रहे हैं
वह हैरान होती है कि क्या यह नज्मे इल्हाम होती है ? और लिखने वाले शायर जो इनका अक्षर अक्षर जोड़ते हैं ।इनके अर्थो को ही नहीं जानते ? इन आसुंओं और आंसुओं की मुलाक़ात को उन्होंने आज से आधी सदी पहले लिखा था और अर्थ आज राज जी की बातों से जाना ॥यह सोच कर अमृता के बदन में एक कम्पन सा दौड़ गया जैसे पृथ्वी तत्व अग्नि ,पानी पवन और आकाश सभी तत्व मिल कर कोई दिलासा दे रहे हो ...
कितना सच है न जिन्हें मिलना होता है वह किसी भी तरह मिलते हैं ..ग्रह न जाने कैसी चाल चलते हैं जो संयोग और वियोग बना देते हैं ..जिनसे हर दिल किसी न किसी मीठी याद में या दर्द में डूबा रहता है .कोई नज्म के जरिये आपनी बात कह देता है तो कोई किसी और जरिये पर जिनसे मिलना वह पहले से ही तय है ...अजब है यह सितारों कि चाल भी ..जो समझे वही जाने और वही माने ...

19 comments:

सदा said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...

अमृता जी का लिखा एक-एक शब्‍द दिल को छू जाता है जैसे की यह पंक्ति, प्रस्‍तुति के लिये आपका आभार्

डिम्पल मल्होत्रा said...

शायद यही मंगल ही किस्मत कि आँखों में भरी हुई नींद थी ..
उन्होंने सिर्फ सपने देखे और हर सपने की ताबीर सपने में हुई और उसकी बात उनकी नज्मों में ..

एह रात तेरे ख्याल विच गुजर के
मैं हुनें हुने जागी हाँ सते बहिश्त उसार के ..

ek ek shabad dil me utar gya...do dilo ke dushman log hi nahi sitere bhi hote hai....umar ki ek rat me sapno me hi arman pure ho jaye to wo bhi badi baat hai....etni khoobsurti se aap ne likha hai...thanx...

ताऊ रामपुरिया said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...

अमृता जी को पढना हमेशा ही रुहानी शुकुन देता है. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

नीरज गोस्वामी said...

क्या कहूँ अमृता जी को पढ़ कर शब्द कहीं खो जाते हैं...सिर्फ खूबसूरत एहसास रह जाता है जिसे लफ्ज़ नहीं दिए जा सकते...
नीरज

ओम आर्य said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...
अमृता प्रितम की एक एक शब्द रुह को उडान देती है जिन्दगी कुछ इस तरह से गुजरी है कि रुहो का गुजरना यानि होना ना होना पता चलता है पर जिस्म तो कब का सो गया है ..........और इनकी नजमो को पढकर रुह को उर्जा मिलजाती है अगले जन्म के इंतजार के लिये........अदभूत

दिगम्बर नासवा said...

इंज किसे न बिछड़ डिठा
इंज कोई मिलिया अग्गे
होए संयोग वियोग इक्कठे
हंजुआं ये गल हंजू लग्गे ....

अमृता जी जिस रूहानी शक्शियत में विशवास करती थी अपने नज्मों में भी उस को उतारने और महसूस करने की क्षमता रखती थीं ......... अमृता जी nazm नहीं कोई sambandh bun रही थीं जब वो pahli बार saahir से मिली थीं........
आपने सच लिखा है ............ jisko milna होता है वो मिल ही जाता है............sitaaron की चाल भी दिल की kashish का साथ deti है ..................... दिल को chooti huyee post है आपकी

डॉ .अनुराग said...

कल ही उनकी एक पुरानी कहानी पढ़ी .शाह की कंजरी .नया ज्ञानोदय में ..बिंदास लेखन इसी को कहते है ......

Vinay said...

बहुत ख़ूबसूरती से सब बख़ान किया है

---
चर्चा । Discuss INDIA

Vinay said...

बहुत ख़ूबसूरती से सब बख़ान किया है

---
चर्चा । Discuss INDIA

Vineeta Yashsavi said...

Amritaa ji ke shabdo mai to jadu hai...aur aap humesha us jadu ko hum logo tak la deti hai...

मान सुच्चे इश्क दा है ,हुनर दा दावा नहीं ...

वाणी गीत said...

अमृताजी का लिखा कुछ भी पढें...ख्यालों में देर तक उसकी अनुगूंज कायम रहती है ...उनका एक एक शब्द उस पराशक्ति से जुड़ने का माध्यम बन जाता है ...इतने सुन्दर पोस्ट के लिए आभार !!

सुशील छौक्कर said...

रंजु जी सपनो को लेकर कोई और किताब भी है क्या हिंदी में? मैं भी अपने कई सपनों का अर्थ जानना चाहता हूँ।
उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...

क्या कहें........

जितेन्द़ भगत said...

बहुत खूबसूरत बात कही-

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...

एक नए पक्ष को उभारती हुई पोस्‍ट।

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत बेहतरीन रूप में प्रस्तुत किया है आपनें ,धन्यवाद.

Udan Tashtari said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...

--अमर पंक्तियाँ..बहुत उम्दा प्रस्तुति!

निर्मला कपिला said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...
अमृता जी का तो नाम लेने से ही दिल के तार झनझना उठते हैं संवेदनायें भी जैसे अपने अस्तित्व पर यकीन नहीं कर पाती कि अमृता जी ने उनके शरीर से कैसे एक एक जर्रे को निकाल कर दुनिअ के सामने रख दिया शायद दर्द जैसी संवेदना का ऐसा रूप किसी ने ना देखा हो जिसे उन्हों ने अपनी कृतियों मे और जीवन मे संजोया है इस महान आत्मा को मेरी नमन श्रधाँजली आभार्

Razi Shahab said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...


बहुत शानदार

vandana gupta said...

kya kahein ...........amrita ko padhkar nishabd ho jati hun.prastuti ke shukriya.

दिपाली "आब" said...

उम्र की एक रात थी ,अरमान रह गए जागते
किस्मत को नींद आ गयी ...

lajawaab.. bahot khoobsurat hai har alfaaz.. aapko shukriya, aapne share kiya.