tag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post3184802832026235309..comments2024-03-23T07:19:12.936-07:00Comments on अमृता प्रीतम की याद में.....: दोस्तों !दुआ मांगों कि मौसम खुशगवार हो !Jagdish Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/17093503828934988942noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-62014586609561193832008-12-26T10:17:00.000-08:002008-12-26T10:17:00.000-08:00अमृता जी के अल्फाज़ और आप की सोच ने बीते हुवे साल ...अमृता जी के अल्फाज़ और आप की सोच ने बीते हुवे साल और आने वाले समय का जो चित्र बनाया है, लगता है यथार्थ के बिल्कुल करीब है, <BR/><BR/>नया साल कुछ ऐसे आया ...<BR/>जैसे इश्क की जुबान पर एक छाला उभर आया हो <BR/>जैसे सभ्यता की कलाई की एक चूड़ी टूट गई हो .<BR/>जैसे इतिहास की अंगूठी से एक मोटी गिर गया हो <BR/>जैसे धरती को आसमान ने एक बहुत उदास ख़त लिखा हो <BR/>नया साल कुछ ऐसे आया .......<BR/><BR/>खट्टी दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-69236383758908616602008-12-26T07:05:00.000-08:002008-12-26T07:05:00.000-08:00अब अमृता जी के लिखे पे क्या कहा जाए...हम खुशकिस्मत...अब अमृता जी के लिखे पे क्या कहा जाए...हम खुशकिस्मत हैं की उन्हें पढ़ पा रहे हैं....शुक्रिया आपका उनसे बार बार रूबरू करवाने का...बहुत पुण्य का काम कर रहीं हैं आप.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-30674274024450835232008-12-26T04:14:00.000-08:002008-12-26T04:14:00.000-08:00इस मिटटी की रहमत जैसा ..इस काया की अजमत जैसा मैं स...इस मिटटी की रहमत जैसा ..इस काया की अजमत जैसा <BR/>मैं साल मुबारक किस से कहूँ ..मैं साल मुबारक किस से कहूँ ? <BR/>" bhut shandar prstuti..."<BR/><BR/>regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-33160858878578943902008-12-26T02:38:00.000-08:002008-12-26T02:38:00.000-08:00विचारों से भरी, सोचने के लिए मजबूर करती पोस्ट। ".म...विचारों से भरी, सोचने के लिए मजबूर करती पोस्ट। <BR/>".मेरे लाखों मासूम लोग हैं जिन्हें बहिश्त का लालच दे कर उनकी आत्मा को गुमराह किया जा रहा है और उन्हें दोजख का खौफ दे कर उनकी आने वाली नस्लों को खौफजदा किया जा रहा है .मैं इस आग से बहिश्त को जलाने जा रही हूँ और इस पानी से दोजख को डुबोने जा रही हूँ ...."<BR/>वैसे आज के समय ऐसे इंसानो की जरुरत हैं। वैसे ये राबिया जी है कौन। शायद मैने कभी नही पढा। सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-63946978253989663602008-12-26T01:47:00.000-08:002008-12-26T01:47:00.000-08:00बहुत बढ़िया, भई, संवेदनशील---चाँद, बादल, और शामhtt...बहुत बढ़िया, भई, संवेदनशील<BR/><BR/>---<BR/>चाँद, बादल, और शाम<BR/>http://prajapativinay.blogspot.com/<BR/><BR/>गुलाबी कोंपलें<BR/>http://www.vinayprajapati.co.ccVinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-20165222073274122342008-12-26T01:12:00.000-08:002008-12-26T01:12:00.000-08:00बौद्धिकता, दार्शनिकता, प्रेम और सौंदर्य का जो समाव...बौद्धिकता, दार्शनिकता, प्रेम और सौंदर्य का जो समावेश अमृता जी में है, वो आश्चर्यजनक है।<BR/><BR/>कुछ चीजें कभी पुरानी नही पड़ती जैसे ये राबिया का किस्सा....!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-39815715284127254102008-12-26T00:27:00.000-08:002008-12-26T00:27:00.000-08:00विचारो को झिंझोड़ने वाली पोस्ट...विचारो को झिंझोड़ने वाली पोस्ट...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-48321697840950961352008-12-25T22:51:00.000-08:002008-12-25T22:51:00.000-08:00.".मेरे लाखों मासूम लोग हैं जिन्हें बहिश्त का लालच....".मेरे लाखों मासूम लोग हैं जिन्हें बहिश्त का लालच दे कर उनकी आत्मा को गुमराह किया जा रहा है और उन्हें दोजख का खौफ दे कर उनकी आने वाली नस्लों को खौफजदा किया जा रहा है .मैं इस आग से बहिश्त को जलाने जा रही हूँ और इस पानी से दोजख को डुबोने जा रही हूँ ...."<BR/><BR/>आज तो आपने पूरा ही डुबो दिया इस सागर मे ! आज यहां महान सुफ़ी फ़कीर राबिया का जिक्र भाव विभोर कर गया ! शायद ये वही राबिया हैं जिन्होने ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-889492667383963251.post-83438970811252604172008-12-25T21:14:00.000-08:002008-12-25T21:14:00.000-08:00जैसे इश्क की जुबान पर एक छाला उभर आया हो जैसे सभ्य...जैसे इश्क की जुबान पर एक छाला उभर आया हो <BR/>जैसे सभ्यता की कलाई की एक चूड़ी टूट गई हो .<BR/>जैसे इतिहास की अंगूठी से एक मोटी गिर गया हो <BR/>जैसे धरती को आसमान ने एक बहुत उदास ख़त लिखा हो <BR/>नया साल कुछ ऐसे आया .......<BR/><BR/>sach har lafz kuch bayan karta dard sa,naye saal pe itana depth mein amrutaji ke alawa shayad hi koi likhe,bahut achhi post.Anonymousnoreply@blogger.com