अमृता प्रीतम की याद में.....
Amrita Pritam and her Books
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Amrita Pritam
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मैं तुझे फ़िर मिलूंगी.....
अमृता प्रीतम जी का लिखा हुआ हो और गुलजार जी की आवाज़ हो तो इसको कहेंगे सोने पर सुहागा ...। यह कविता उन्होंने अपने आखिरी दिनों में इमरोज़ जी ...
मोहब्बत जिस राह से गुजर कर आई है..अमृता प्रीतम
अमृता जी के बारे में जितना लिखा जाए मेरे ख्याल से उतना कम है , जैसा कि मैंने अपने पहले लेख में लिखा था कि मैंने इनके लिखे को जितनी बार पढ़ा...
अमृता प्रीतम जो नाम है अपनी शर्तों पर जीने का
पिछले कुछ दिनों से मैं अमृता जी की लिखी हुई कई नज्म और कहानी लेख पढ़ रही थी ..यूं तो इनको मैं अपना गुरु मानती हूँ .पर हर बार इनके लिखे क...
हर तरफ तू ही तू,और तेरा ही नूर है ..
अमृता और साहिर में जो एक तार था वह बरसों तक जुडा रहा ,लेकिन क्या बात रही दोनों को एक साथ रहना नसीब नहीं हो सका ?यह सवाल अक्सर मन को कुदेरता ...
उम्रा दे कागज़ उत्ते ,इश्क तेरे अंगूठा लाया
सन १९५८ -५९ के आस पास अमृता और इमरोज़ की मुलकात हुई ,एक किताब के सिलसिले में जब उन्हें उसका मुखपृष्ट बनवाना था ,तब उन्हें किसी ने इन्द्रजीत...
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अमृता जी के बारे में यहां भी पढ़ें
अमृता प्रीतम के इमरोज के नाम चंद पत्र
सुनिये अमृता प्रीतम की "रसीदी टिकट" से एक हिस्सा
अमृता प्रीतम जी का जन्मदिन और उनकी कविताएं
मुझे फिर मिलेगी अमृता
जन्मदिन मुबारक हो ....अमृता जी
यहां हो रही है अमृता जी के इस ब्लॉग की चर्चा
वेब दुनिया पर - अमृता प्रीतम की याद में बहती अमृता-धारा
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