रास्ते कठिन हैं। तुम्हें भी जिस रास्ते पर मिला, सारे का सारा कठिन है,
पर यही मेरा रास्ता है।.....मुझ पर और भरोसा करो, मेरे अपनत्व पर पूरा
एतबार करो। जीने की हद तक तुम्हारा, तुम्हारे जीवन का जामिन, तुम्हारा
जीती।....ये अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य का पल्ला तुम्हारे आगे फैलाता
हूँ, इसमें अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य को डाल दो।.....इमरोज़
मेरी सारी...
Saturday, August 31, 2013
Monday, August 5, 2013
मर्द ने अपनी पहचान मैं लफ़्ज़ में पानी होती है, औरत ने मेरी लफ़्ज़
में...
‘मैं’ शब्द में ‘स्वयं’ का दीदार
होता है, और ‘मेरा’ शब्द ‘प्यार’
के धागों में लिपटा हुआ होता है...
लेकिन अंतर मन की यात्रा रुक जाए तो मैं लफ़्ज़ महज अहंकार हो जाता है और
मेरा लफ़्ज़ उदासीनता। उस समय स्त्री वस्तु हो जाती है, और पुरुष वस्तु का
मालिक।
मालिक होना उदासीनता नहीं...
Thursday, July 18, 2013
अमृता जब छोटी-सी थी, तब सांझ घिरने लगती, तो वह खिड़की के पास खड़ी-कांपते
होठों से कई बार कहती-अमृता ! मेरे पास आओ।
शायद इसलिए कि खिड़की में से जो आसमान सामने दिखाई देता, देखती कि कितने
ही पंछी उड़ते हुए कहीं जा रहे होते...ज़रूर घरों को-अपने-अपने घोंसलों को
लौट रहे होते होंगे...और उनके होठों से बार-बार निकलता-अमृता, मेरे पास आओ
! लगता, मन का पंछी...
Thursday, June 6, 2013
अमृता की कुछ बातें उनके कागज और अक्षर किताब से ........नज़्म, कहानी या नावल, एक माध्यम है, बात को कहने का। अमृता का
एक नावल था ‘दिल्ली की गलिया’ जिसका किरदार नासिर एक
मुसव्विर
है, और एक अखबार के लिए कार्टून भी बनाता है। उसी के एक कार्टून में,
अंग्रेज़ी का एक प्रोफेसर अपने विद्यार्थियों से पूछता है,
‘आजकल
कौन-सा लफ़्ज आम जिंदगी में सबसे...
Friday, May 24, 2013
कुछ किस्से किताब से
औरत की पाकीज़गी का ताल्लुक, समाज ने कभी भी, औरत के मन की अवस्था से नहीं
पहचाना, हमेशा उसके तन से जोड़ दिया। इसी दर्द को लेकर मेरे
‘एरियल’ नावल की किरदार ऐनी के अलफाज़ हैं,
‘‘मुहब्बत और वफा ऐसी चीज़ें नहीं है, जो किसी बेगाना
बदन के
छूते ही खत्म हो जाएं। हो सकता है—पराए बदन से गुज़र कर वह और
मज़बूत हो जाएं जिस तरह इन्सान मुश्किलों...
Wednesday, September 26, 2012
अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की बिलकुल नयी बीवी है। एक तो नयी इस बात से कि वह अपने पति की दूसरी बीवी है, सो उसका पति ‘दुहाजू’ हुआ। जू का मतलब अगर ‘जून’ हो तो इसका मतलब निकला ‘दूसरी जून में पड़ा चुका आदमी’, यानी दूसरे विवाह की जून में, और अंगूरी क्योंकि अभी विवाह की पहली जून में ही है, यानी पहली...
Thursday, August 30, 2012
Monday, July 9, 2012
मौहब्बत की कच्ची दीवार
लिपी हुई, पुती हुई
फिर भी इसके पहलू से
रात एक टुकड़ा टूट गिरा
बिल्कुल जैसे एक सूराख़ हो गया
दीवार पर दाग़ पड़ गया...
यह दाग़ आज रूँ रूँ करता,
या दाग़ आज होंट बिसूरे
यह दाग़ आज ज़िद करता है...
यह दाग़ कोई बात न माने
टुकुर टुकुर मुझको देखे,
अपनी माँ का मुँह पहचाने
टुकुर टुकुर तुझको देखे,
अपने बाप की पीठ पहचाने
टुकुर टुकुर...