एक मुलाकात
मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी
सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……फिर समुन्द्र को खुदा जाने
क्या ख्याल आया
उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी
मेरे हाथों में थमाई
और हंस कर कुछ दूर हो गया
हैरान थी….
पर उसका चमत्कार ले लिया
पता था कि इस प्रकार की घटना
कभी सदियों में होती है…..
लाखों ख्याल आये
माथे में झिलमिलाये
पर खड़ी रह गयी कि उसको उठा कर
अब अपने शहर में कैसे जाऊंगी?
मेरे शहर की हर गली संकरी
मेरे शहर की हर छत नीची
मेरे शहर की हर दीवार चुगली
सोचा कि अगर तू कहीं मिले
तो समुन्द्र की तरह
इसे छाती पर रख कर
हम दो किनारों की तरह हंस सकते थे
और नीची छतों
और संकरी गलियों
के शहर में बस सकते थे….
पर सारी दोपहर तुझे ढूंढते बीती
और अपनी आग का मैंने
आप ही घूंट पिया
मैं अकेला किनारा
किनारे को गिरा दिया
और जब दिन ढलने को था
समुन्द्र का तूफान
समुन्द्र को लौटा दिया….
अब रात घिरने लगी तो तूं मिला है
तूं भी उदास, चुप, शान्त और अडोल
मैं भी उदास, चुप, शान्त और अडोल
सिर्फ- दूर बहते समुन्द्र में तूफान है…..
याद
आज सूरज ने कुछ घबरा कर
रोशनी की एक खिड़की खोली
बादल की एक खिड़की बंद की
और अंधेरे की सीढियां उतर गया….
आसमान की भवों पर
जाने क्यों पसीना आ गया
सितारों के बटन खोल कर
उसने चांद का कुर्ता उतार दिया….
मैं दिल के एक कोने में बैठी हूं
तुम्हारी याद इस तरह आयी
जैसे गीली लकड़ी में से
गहरा और काला धूंआ उठता है….
साथ हजारों ख्याल आये
जैसे कोई सूखी लकड़ी
सुर्ख आग की आहें भरे,
दोनों लकड़ियां अभी बुझाई हैं
वर्ष कोयले की तरह बिखरे हुए
कुछ बुझ गये, कुछ बुझने से रह गये
वक्त का हाथ जब समेटने लगा
पोरों पर छाले पड़ गये….
तेरे इश्क के हाथ से छूट गयी
और जिन्दगी की हन्डिया टूट गयी
इतिहास का मेहमान
मेरे चौके से भूखा उठ गया….
हादसा
बरसों की आरी हंस रही थी
घटनाओं के दांत नुकीले थे
अकस्मात एक पाया टूट गया
आसमान की चौकी पर से
शीशे का सूरज फिसल गया
आंखों में ककड़ छितरा गये
और नजर जख्मी हो गयी
कुछ दिखायी नहीं देता
दुनिया शायद अब भी बसती है
आत्ममिलन
मेरी सेज हाजिर है
पर जूते और कमीज की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज है……
शहर
मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है
सड़कें - बेतुकी दलीलों सी…
और गलियां इस तरह
जैसे एक बात को कोई इधर घसीटता
कोई उधर
हर मकान एक मुट्ठी सा भिंचा हुआ
दीवारें-किचकिचाती सी
और नालियां, ज्यों मूंह से झाग बहती है
यह बहस जाने सूरज से शुरू हुई थी
जो उसे देख कर यह और गरमाती
और हर द्वार के मूंह से
फिर साईकिलों और स्कूटरों के पहिये
गालियों की तरह निकलते
और घंटियां हार्न एक दूसरे पर झपटते
जो भी बच्चा इस शहर में जनमता
पूछता कि किस बात पर यह बहस हो रही?
फिर उसका प्रश्न ही एक बहस बनता
बहस से निकलता, बहस में मिलता…
शंख घंटों के सांस सूखते
रात आती, फिर टपकती और चली जाती
पर नींद में भी बहस खतम न होती
मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है….
भारतीय़ ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित अमृता प्रीतम चुनी हुई कवितायें से साभार
19 comments:
अमृता प्रीतम की रचनाये पढ़ने के लिए धन्यवाद.
बहुत आभार इन्हें यहाँ प्रस्तुत करने का.
कितनी गहन संवेदना !
कैसी विलक्षण कल्पनाशीलता !
कितना चमत्कारिक मानवीकरण !
========================
नम ह्रदय से उठते धुएँ में भी
जैसे सब कुछ
उजला-उजला सा दिख रहा है !
शुक्रिया इस सिलसिले के लिए
डा.चंद्रकुमार जैन
कितनी गहन संवेदना !
कैसी विलक्षण कल्पनाशीलता !
कितना चमत्कारिक मानवीकरण !
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नम ह्रदय से उठते धुएँ में भी
जैसे सब कुछ
उजला-उजला सा दिख रहा है !
शुक्रिया इस सिलसिले के लिए
डा.चंद्रकुमार जैन
कितनी गहन संवेदना !
कैसी विलक्षण कल्पनाशीलता !
कितना चमत्कारिक मानवीकरण !
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नम ह्रदय से उठते धुएँ में भी
जैसे सब कुछ
उजला-उजला सा दिख रहा है !
शुक्रिया इस सिलसिले के लिए
डा.चंद्रकुमार जैन
ek hi lafz hai mere pas.....
subhanallh...
yeh kavitayein pehle bhi padi thi, phir se pad kar bhi dil mein wwohi teekha sa ehsaas hua. Inhone mujhe maun kar diya.......
Amritaji ki kavitaye hriday se seedhe nikali aur hriday ki gaharaiyon tak utar gayin.
बहुत सुन्दर बिम्बों वाली जीवंत कवितायेँ. बह्सों जैसा शहर और प्रेम की खुशबू वाली कवितओयें पढवाने के लिए आभार.
AaJ lkha dhia rondia ne koi dil da vrka khol vali kavita bhi agr kisi k pass Ho tto plz post kro
दिल को छू लेनेवाली खूबसूरत कविताऐं
lots of thanks :)
bahut khubsurti.. bahut gehrai....behtarin lajwab.... aatm milan ek kadwi sachchai...
bahut khubsurti.. bahut gehrai....behtarin lajwab.... aatm milan ek kadwi sachchai...
Thanks for sharing these poems of AMRUTA PRITAM. ....
Pl share if you know more poems please..!
Thanks for sharing these poems of AMRUTA PRITAM. ....
Pl share if you know more poems please..!
Nice n touchy lines which leaves mind n lip paralysed to give any remark.Thnx for posting it here.
क्या कभी ऐसा हो सकता है
क्रांति इश्क़ और कविता एक ही जगह से निकलकर आगे बढ़े
बस एकबार अमृता जी की कविता पढ़के सोचिये
Dosto Punjabi Kavita ke liye app mera blog meripunjabikavita.blogspot.com pe ja sakate hain
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