अमृता जी अपने सपनों पर और कुदरत की शक्तियों पर यकीन रखती थी ..यह आभास उनकी ही लिखी हुई कई किताबों को पढ़ कर होता है ..इसी कड़ी इस जिस किताब से पिछली पोस्ट को मैंने लिखा उस किताब का नाम है अनंत नाम जिज्ञासा .उनका मानना था कि न जाने किस किस काल के स्मरण इंसान के अंतर में समाये होते हैं ...और जब कुदरत उनको किसी रहस्य में ले जाती है तो इस जन्म की जाति और मजहब बीच में नहीं होते ..इसी बात को सोचते हुए उनके मन में आया कि जो लोग इस तरह से अनुभव से गुजरते हैं वह कभी अनुभव अपनी आप बीती अपनी कलम से शायद न लिखे ..तो वह ही क्यों न उनके इतने बड़े अनुभव उन्हीं से ले कर लिख दे .उनके साथ खुद भी कई बार ऐसा घटता रहा जो उन्हें आने वाले वक़्त की और बीते वक़्त के लम्हों के बारे में बताता रहा ....
इसी तरह के अनुभव में से एक अनुभव है
१८ अगस्त १९९६ की दोपहर थी ।जब अमृता ने अपनी आँखों के सामने एक मंजर देखा की वह किसी पहाडी के सामने खड़ी हैं इस इलाकेमें सामने पहाडियों का सिलसिला है ....जहाँ एक शिला के सामने कुछ लोग इस तरह से खडे हैं ,जैसे वहां कोई मदिर हो लेकिन वहां कोई मंदिर नहीं दिखता पर लोगों की नजरों नाम एक पूजा का एहसास है ॥
पास जाती है अमृता तो लोग कहते हैं कि किसी जमाने नाम यहाँ एक दरवेश हुआ करता था और यहाँ इसी शिला पर एक शक्ति पात हुआ था सीधा आसमान से यह वही शिला है ...अमृता उस शिला को देखती रहीं गहरे स्लेटी रंग की शिला उस पर कोई निशान नहीं था ,तभी न जाने अमृता को क्या हुआ उन्होंने एक पत्थर का छोटा सा टुकडा ले कर उस नुकीले पत्थर से उस शिला पर तीन लम्बी लकीरें खींच दी और कहा की देख लो शक्तिपात कुछ इस तरह से हुआ था ..
लोग उनसे पूछने लगे आपको कैसे पता ?
अमृता ने कहा मैं जानती हूँ कि शक्ति पात ठीक इसी तरह से हुआ था तीन धराओं में
अचानक वह मंजर हिलने लगा और अमृता को अपना और वक़्त का एहसास हुआ कि अपने कमरे नाम अपने ही बिस्तर पर सोयी जागती सी हैं ।बाद में वह यह सोच कर बहुत हैरान हुई कि यह क्या था ॥ वह दरवेश कौन था ?? वह शिला किस काल की है..उन्होंने वहां तीन रेखाएं क्यों डाली उसका क्या मतलब हुआ ?
फिर बहुत दिन गुजर गए अमृता का डॉ चमन लाल से मिलना हुआ वह अमृता के सपनों के ऊपर एक किताब लिखना चाहते थे इस लिए अमृता ने अपना वह सपना उन्हें बताया वह हँस दिए
उन्होंने अमृता को बताया कि जो शिला आपने देखी वह श्रीनगर में जहाँ आदि शंकराचार्य का मंदिर है .....जिस पहाडी में उसी के साथ लगती लगती हुई महदेव की पहाडियां हैं... जहाँ वह शिला आज भी सुरक्षित है जिस को लेकर करीब एक हजार साल हुए बासु गुप्ता को एक सपाना आया था जहाँ शिव ने स्वयं जाहिर हो कर कहा था कि जाओ इन पहाडियों नाम एक शिला है जहाँ शिव सूत्र लिखे हुए हैं पत्थर पर जाओ लिख कर आओ और उसका ज्ञान दुनिया को दे दो
उन्होंने वही देखी शिव सूत्र दुनिया को दिया आपने वही शिला देखी और जो तीन रेखाएं उस पर खींच दी है वह उन्हीं तीन बिन्दुओं के प्रतीक है जो शिव सूत्र के रहस्य है उसका तत्व ज्ञान है एक बिंदु शिव का प्रतीक है एक शक्ति का एक अणु का जिस से ब्रह्मांड का विस्तार हुआ
अमृता ने पूछाकि क्या उस शिला का चित्र कहीं मिल सकता है .
तो उन्होंने कहा कि वह चित्र मेरे पास था लेकिन वह कश्मीर नाम रह गया कुछ दिन बाद अमृता को वह सपने वाला चित्र और किताब उनके एक मित्र श्री महाजन के द्वारा मिल गयी ..
यही सोच कर अमृता जो को ख्याल आया कि न जाने इस तरह के कितने लोग होंगे जो इस तरह के कुदरत के रहस्य जानते होंगे ....जैसे एक कुलदीप जी हैं बहुत तालीमयाफ्ता हैं लेकिन हर मंगलवार और शनिवार को उनके मस्तक पर स्वयं एक टीका लग जाता है ,
एक पूनम जी हैं जिनका हर सपना किसी आने वालीं घटना के बारे तो बताता है और कई बार उनके हाथ तो पड़ी हुई पुखराज की अंगूठी से तेज महक आने लगती है .
एक मजीदुन्निसा हैं पैदा मुसलमान घर तो हुई हैं पर उनके सपने तो शिव बांसुरी वाले कृष्ण और शेर सवार पर दुर्गा माँ दिखाई देते हैं ..
एक जया सिब्बू हैं .हैं तो पंडित घराने के पर वह अक्सर अपने सपने तो खुद को हज करते हुए और बड़ी अदिकत से काबा के पत्थर को छू कर अपने हाथ आँखों से लगाते हुए देखते हैं ..यही कुदरत के अनबूझ रहस्य है जो कभी किसी की समझ तो नहीं आते ..
इसलिए अमृता ने हर किस्से को बहुत खूबसूरती से उन्ही की जुबानी अपनी इस किताब में लिख दिया है ...आप ने अब तक नहीं पढ़ा तो जरुर पढ़े ....नहीं तो यहाँ तो आपको समय समय पर कोई किस्सा किसी लेख तो पढने को मिल ही जायेगा ...
अब एक कविता अमृता की कलम से ..
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
उसका नाम आया है ॥
अल्लाह !यह कौन आया है
कि लोग कहते हैं ..
मेरी तकदीर के घर से
मेरा पैगाम आया है ...
अल्लाह !यह कौन आया है
यह नसीब धरती के
कि उसके हुस्न को ...
खुदा का इक सलाम आया है ..
अल्लाह !यह कौन आया है
यह दिन मुबारक है
कि मेरी जात पर
अब इश्क का इल्जाम आया है ॥
अल्लाह ! यह कौन आया है
नजर भी हैरान है
कि आज मेरी मेरी राह में
यह कैसा मुकाम आया है ...
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
अब उसका नाम आया है .....
इसी तरह के अनुभव में से एक अनुभव है
१८ अगस्त १९९६ की दोपहर थी ।जब अमृता ने अपनी आँखों के सामने एक मंजर देखा की वह किसी पहाडी के सामने खड़ी हैं इस इलाकेमें सामने पहाडियों का सिलसिला है ....जहाँ एक शिला के सामने कुछ लोग इस तरह से खडे हैं ,जैसे वहां कोई मदिर हो लेकिन वहां कोई मंदिर नहीं दिखता पर लोगों की नजरों नाम एक पूजा का एहसास है ॥
पास जाती है अमृता तो लोग कहते हैं कि किसी जमाने नाम यहाँ एक दरवेश हुआ करता था और यहाँ इसी शिला पर एक शक्ति पात हुआ था सीधा आसमान से यह वही शिला है ...अमृता उस शिला को देखती रहीं गहरे स्लेटी रंग की शिला उस पर कोई निशान नहीं था ,तभी न जाने अमृता को क्या हुआ उन्होंने एक पत्थर का छोटा सा टुकडा ले कर उस नुकीले पत्थर से उस शिला पर तीन लम्बी लकीरें खींच दी और कहा की देख लो शक्तिपात कुछ इस तरह से हुआ था ..
लोग उनसे पूछने लगे आपको कैसे पता ?
अमृता ने कहा मैं जानती हूँ कि शक्ति पात ठीक इसी तरह से हुआ था तीन धराओं में
अचानक वह मंजर हिलने लगा और अमृता को अपना और वक़्त का एहसास हुआ कि अपने कमरे नाम अपने ही बिस्तर पर सोयी जागती सी हैं ।बाद में वह यह सोच कर बहुत हैरान हुई कि यह क्या था ॥ वह दरवेश कौन था ?? वह शिला किस काल की है..उन्होंने वहां तीन रेखाएं क्यों डाली उसका क्या मतलब हुआ ?
फिर बहुत दिन गुजर गए अमृता का डॉ चमन लाल से मिलना हुआ वह अमृता के सपनों के ऊपर एक किताब लिखना चाहते थे इस लिए अमृता ने अपना वह सपना उन्हें बताया वह हँस दिए
उन्होंने अमृता को बताया कि जो शिला आपने देखी वह श्रीनगर में जहाँ आदि शंकराचार्य का मंदिर है .....जिस पहाडी में उसी के साथ लगती लगती हुई महदेव की पहाडियां हैं... जहाँ वह शिला आज भी सुरक्षित है जिस को लेकर करीब एक हजार साल हुए बासु गुप्ता को एक सपाना आया था जहाँ शिव ने स्वयं जाहिर हो कर कहा था कि जाओ इन पहाडियों नाम एक शिला है जहाँ शिव सूत्र लिखे हुए हैं पत्थर पर जाओ लिख कर आओ और उसका ज्ञान दुनिया को दे दो
उन्होंने वही देखी शिव सूत्र दुनिया को दिया आपने वही शिला देखी और जो तीन रेखाएं उस पर खींच दी है वह उन्हीं तीन बिन्दुओं के प्रतीक है जो शिव सूत्र के रहस्य है उसका तत्व ज्ञान है एक बिंदु शिव का प्रतीक है एक शक्ति का एक अणु का जिस से ब्रह्मांड का विस्तार हुआ
अमृता ने पूछाकि क्या उस शिला का चित्र कहीं मिल सकता है .
तो उन्होंने कहा कि वह चित्र मेरे पास था लेकिन वह कश्मीर नाम रह गया कुछ दिन बाद अमृता को वह सपने वाला चित्र और किताब उनके एक मित्र श्री महाजन के द्वारा मिल गयी ..
यही सोच कर अमृता जो को ख्याल आया कि न जाने इस तरह के कितने लोग होंगे जो इस तरह के कुदरत के रहस्य जानते होंगे ....जैसे एक कुलदीप जी हैं बहुत तालीमयाफ्ता हैं लेकिन हर मंगलवार और शनिवार को उनके मस्तक पर स्वयं एक टीका लग जाता है ,
एक पूनम जी हैं जिनका हर सपना किसी आने वालीं घटना के बारे तो बताता है और कई बार उनके हाथ तो पड़ी हुई पुखराज की अंगूठी से तेज महक आने लगती है .
एक मजीदुन्निसा हैं पैदा मुसलमान घर तो हुई हैं पर उनके सपने तो शिव बांसुरी वाले कृष्ण और शेर सवार पर दुर्गा माँ दिखाई देते हैं ..
एक जया सिब्बू हैं .हैं तो पंडित घराने के पर वह अक्सर अपने सपने तो खुद को हज करते हुए और बड़ी अदिकत से काबा के पत्थर को छू कर अपने हाथ आँखों से लगाते हुए देखते हैं ..यही कुदरत के अनबूझ रहस्य है जो कभी किसी की समझ तो नहीं आते ..
इसलिए अमृता ने हर किस्से को बहुत खूबसूरती से उन्ही की जुबानी अपनी इस किताब में लिख दिया है ...आप ने अब तक नहीं पढ़ा तो जरुर पढ़े ....नहीं तो यहाँ तो आपको समय समय पर कोई किस्सा किसी लेख तो पढने को मिल ही जायेगा ...
अब एक कविता अमृता की कलम से ..
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
उसका नाम आया है ॥
अल्लाह !यह कौन आया है
कि लोग कहते हैं ..
मेरी तकदीर के घर से
मेरा पैगाम आया है ...
अल्लाह !यह कौन आया है
यह नसीब धरती के
कि उसके हुस्न को ...
खुदा का इक सलाम आया है ..
अल्लाह !यह कौन आया है
यह दिन मुबारक है
कि मेरी जात पर
अब इश्क का इल्जाम आया है ॥
अल्लाह ! यह कौन आया है
नजर भी हैरान है
कि आज मेरी मेरी राह में
यह कैसा मुकाम आया है ...
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
अब उसका नाम आया है .....
27 comments:
Aap jo kaam kar rahi hai uski tarif karne ki liye to shabd bhi kam par gaye hai...
aapke karn amrita ji ke baare mai bahut kuchh janne ko milta hai...
अमरता प्रीतम जी के बारे में जितना पढ़ा सुना जाए वो कम ही है ...अच्छा लगता है
दशकों से हम उनके फेन रहे हैं. आपकी प्रस्तुति सराहनीय है. आभार.
बहुत से ऐसे रहस्य हैं जो इंसान की समझ से बाहर हैं....बहुत रोचक पोस्ट है आपकी...कितना पढ़ा और जाना है है आपने अमृता जी को....वाह...
नीरज
आप यूँ ही लिखती रहिये और हम यूँ ही पढ़ते रहे ।
शुक्रिया !
आदरणीय रंजू जी, बहुत भावना प्रधान प्रसंग पेश किया जी आपने फिर अमृता जी के बारे में। एक शेर ज़ेहन में आ रहा है इस बात पर देखिये अगली पोस्ट तक कामिल हुआ तो वही आयेगा। आपका बहुत आभार इसके लिए।
आप यूँ ही लिखती रहिये और हम यूँ ही पढ़ते रहे ।
जितना पढ़ा सुना जाए वो कम ही है ...अच्छा लगता है
अल्लाह !यह कौन आया है
यह दिन मुबारक है
कि मेरी जात पर
अब इश्क का इल्जाम आया है ॥
अल्लाह ! यह कौन आया है
नजर भी हैरान है
कि आज मेरी मेरी राह में
यह कैसा मुकाम आया है ...
bahut hi bha gayi ye panktiyaan,lekh hamesha ki tarahdil ke aarpaar.shukran
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
उसका नाम आया है ॥
अमृता जी की विविध रचनाएं आपके मा्यम से पढने का सौभाग्य मिल रहा है. आपके बहुत आभारी हैं. शुभकामनाएं.
रामराम.
भूल सुधार :
मा्यम = माध्यम
Is kitaab ke bare mein to jigyasa jaga hi di hai aapne.
गाँधीविचार
बहुत खूब...
अमृता जी का लिखना बताता है की वो खुद भी किसी दरवेश से कम नहीं थीं, मन को शान्ति, उस प्रभू के करीब लाने की कोशिश दरवेश अपने अंदाज में करते हैं तो अमृता जी ने अपने अंदाज में मन को पुरसुकून पहुंचाने की कोशिश की है. जीवन के रहस्य आज भी उतने ही रहस्य हैं जितने सदियों पहले थे.
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
उसका नाम आया है ॥
ऊपर वाला कभी खुद नहीं आता........बस अपने होने का एहसास किसी न किसी के द्बारा करवाता है, ये बात उनकी रचनाओं में साफ़ नज़र आती है
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
अब उसका नाम आया है .....
अति सुन्दर .ऐसी रचनाएँ अमृता जी जैसी महान साहित्यकार ही सृजित कर सकता है .आपने इसे प्रस्तुत किया आपको धन्यवाद .
हर बार की तरह इस बार भी एक नया रंग सामने आया है.. अमृता जी का.. आपको और किस तरह से धन्यवाद कहु.. इस बेशक़ीमती ब्लॉग के लिए..
रंजू जी, बहुत दिनों के बाद आपका ब्लॉग पढ़ पा रहा हूं। वही जोश, वही जुनून। जब मैं आप के बारे में सोचता हूं तो अमृता जी की याद आती है और जब अमृता जी का लिखा पढ़ता हूं तो आप की छवि आंखों के सामने आ जाती है।
Amrita Ji ki yahi bate.n thi jo mujhe Amrita Pritam se aur adhik jodati hai.n..! unka manana tha ki ham janmo se kab kis se jude hai koi nahi janta. unhe jyotish ka bhi achchha gyan tha.
aapake blog ko read kar kaphi jankari mili thanks
आप लिखती रहिए ऐसे ही और हम पढते रहेंगे ऐसे ही।
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
उसका नाम आया है ॥
यह रचना पसंद आई।
अमृता जी कि रूह कुछ इस तरह थी कि आईने भी अपने अक्स देख लें. मुझे ताज्जुब होता है उनके ख्वाबों, संस्मरणों आदि को पढ़ कर. उस रूह से समय समय पर आप रूबरू कराती रहती हैं, पढ़ के अच्छा लगता है.
अमृता के ये आज एक नया ही रूप देखने को मिला. हर पोस्ट लाजवाब होती है इस ब्लॉग की !
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
अब उसका नाम आया है .....
प्रिय रंजना,...आज तुम्हारी सभी पोस्ट पढ़ी जिन्हें पिछले २५ दिनों से नही पढा था ..अम्रता जी के लिए तुम्हारी श्रधा प्रेम भक्ति यूँ ही बरकरार रहे ..यही दुआ है
shukriya s pustak ke bare mein batane ke liye
sabse pehle itni achhi rachna padhne ka avsar dene ke liye dhanyawad.Amrita Pritam par blog chalu karne ke liye Sadhuwad.
boht achha..teri jagah juban pe ab uska naam aya...khud ko kyale yaar me aisa bhula diya....
अल्लाह ! यह कौन आया है
कि तेरी जगह जुबान पर
अब उसका नाम आया है .....
...लाज़वाब ! बहुत रोचक प्रस्तुति..
ऐसा होता है कुछ खास लोगो के साथ ही कि पूर्वानुमान हो जाये या कुछ घटित दिख जाये।
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