आज तारों ने फिर कहा,
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे-
तू नहीं आया....
किरणों का झुरमुट कह रहा,
रातों की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता-
तू नहीं आया...........
अमृता प्रीतम से पूछे गए सवालों में से एक सवाल पढा हुआ याद आ रहा है ...उनसे पूछा गया कि ज़िन्दगी में आपको किस चीज ने प्रभावित किया ..
१) इश्क के क्षेत्र में
२) साहित्य के क्षेत्र में
३)ज्ञान के क्षेत्र में
४) सामाजिक क्षेत्र में
५)राजनितिक क्षेत्र में
६ )धर्म के क्षेत्र में
७)आम जीवन के क्षेत्र में
८) दर्शन के क्षेत्र में
1)इश्क के क्षेत्र में "चूरियां रो दी "और "छन्ने बिलख उठे "वाल दर्द मेरी रगों में है ..एक वाकया सुनाती हूँ १९६१ में जब मैं पहली बार रूस गयी थी तब ताजिकस्तान में एक मर्द और एक औरत से मिली जो एक नदी के किनारे लकड़ी की एक कुटिया बना कर रहते थे ,औरत की नीली और मर्द कि कालीं आँखों में क्षण क्षण जीए हुए इश्क का जलाल था पता चला अब की साठ सत्तर बरस की उम्र इश्क का एक दस्तवेज है मर्द की उठती जवानी थी जब वह किसी काम से कश्मीर से यहाँ आया था और उस नीली आँखों वाले सुंदरी की आँखों में खो कर यही का हो कर रहा गया था और फिर कश्मीर नहीं लौटा वह दो देशों की नदियों की तरह मिले और उनका पानी एक हो गया वही यही एक कुटिया बना कर रहने लगे अब यह कुटिया उनके इश्क की दरगाह है औरत माथे पर स्कार्फ बांध कर और गले में एक चोगा पहन कर जंगल के पेडो की देखभाल करने लगी और मर्द अपनी पट्टी का कोट पहन कर आज तक उसके काम में हाथ बंटाता है
वहां मैंने हरी कुटिया के पास बैठ कर उनके हाथो उस पहाड़ी नदी का पानी पीया और एक मुराद मांगी थी कि मुझे उनके जैसे ज़िन्दगी नसीब हो यह खुदा के फजल कहूँगी कि मुझे वह मुराद मिली है
२)शायरी की पहली लो मुझे वारिस के अक्षरों में दिखाई दी और नस्र का नया कोण शरदचंद्र के अक्षरों में
३)ज्ञान के क्षेत्र में रजनीश का कोई सानी नहीं अंतर्मन की मिटटी में पड़े हुए बीज का इल्म की किरण का मिलन मैंने रजनीश के चिंतन में देखा
४) सामाजिक क्षेत्र में मुझे किसी व्यक्ति ने प्रभावित नहीं किया है लेकिन महाराष्ट्र के एक गांव शनिसिंग्नापुर ने जरुर किया है इस गांव में सदियों से कोई चोरी नहीं हुई है और यहाँ कोई ताला नहीं लगाया जाता है ,घर के बीतर जाने के रास्ता है पर कोई दरवाजा नहीं कोई सांकल नहीं घरों में जैसे दाल चावल रखे जाते हैं वैसे ही सोना चांदी रखे जाते हैं और कोई चोरी नहीं करता है
५) राजीनति के क्षेत्र में मुझे जवाहर लाल नेहरु और वियतनाम के प्रधनमंत्री हो -ची -मिन्ह ने प्रभावित किए है नेहरु जी से हुई मुलाकातें मैंने एक जगह लिखा है कि मुझे बहुत सहज लगी है कहीं भी कोई संकोच नहीं जो किसी में नहीं मिला आज तक ,यह आत्मा के सहज सोंदर्य के बिना संभव नहीं है और हो -ची- मिन्ह से हुई मेरी मुलाक़ात भी उसी आयाम की बात है जो दुनिया की राजनीति का अगर एक पहलु बन जाए तो दुनिया की सूरत ही बदल जाए
६) सुलतान बाहू के हर्फ में मैंने धर्म क्षेत्र को पहचाना ईमान सलामत हर कोई छाए इश्क सलामत कोई हु जिस मंजिल को इश्क ले जाए ईमाने खबर न होई हु
७) आम ज़िन्दगी में मैं अपने पिता से बहुत प्रभावित हुई जिन्होंने दुनिया से कुछ लेने की मेरी छोटी उम्र की नासमझ तमन्ना को एक बार माथे पर तेवरी चढ़ा कर देखा था और मैं उसी क्षण बड़ी हो गयी
८) दर्शन के क्षेत्र में दो नाम मैं एक साथ लेना चाहूंगी आइनरेंड और विवेकानंद आईनरेंड ने बीज रूप में इन्डिविजुललिटी की पहचान पाई है और विवेकानंद ने उस बीज के विकसित होने में जहाँ इन्डिविजुललिटी युनिवर्सल इन्डिविजुललिटी बन जाती है
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे-
तू नहीं आया....
किरणों का झुरमुट कह रहा,
रातों की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता-
तू नहीं आया...........
अमृता प्रीतम से पूछे गए सवालों में से एक सवाल पढा हुआ याद आ रहा है ...उनसे पूछा गया कि ज़िन्दगी में आपको किस चीज ने प्रभावित किया ..
१) इश्क के क्षेत्र में
२) साहित्य के क्षेत्र में
३)ज्ञान के क्षेत्र में
४) सामाजिक क्षेत्र में
५)राजनितिक क्षेत्र में
६ )धर्म के क्षेत्र में
७)आम जीवन के क्षेत्र में
८) दर्शन के क्षेत्र में
1)इश्क के क्षेत्र में "चूरियां रो दी "और "छन्ने बिलख उठे "वाल दर्द मेरी रगों में है ..एक वाकया सुनाती हूँ १९६१ में जब मैं पहली बार रूस गयी थी तब ताजिकस्तान में एक मर्द और एक औरत से मिली जो एक नदी के किनारे लकड़ी की एक कुटिया बना कर रहते थे ,औरत की नीली और मर्द कि कालीं आँखों में क्षण क्षण जीए हुए इश्क का जलाल था पता चला अब की साठ सत्तर बरस की उम्र इश्क का एक दस्तवेज है मर्द की उठती जवानी थी जब वह किसी काम से कश्मीर से यहाँ आया था और उस नीली आँखों वाले सुंदरी की आँखों में खो कर यही का हो कर रहा गया था और फिर कश्मीर नहीं लौटा वह दो देशों की नदियों की तरह मिले और उनका पानी एक हो गया वही यही एक कुटिया बना कर रहने लगे अब यह कुटिया उनके इश्क की दरगाह है औरत माथे पर स्कार्फ बांध कर और गले में एक चोगा पहन कर जंगल के पेडो की देखभाल करने लगी और मर्द अपनी पट्टी का कोट पहन कर आज तक उसके काम में हाथ बंटाता है
वहां मैंने हरी कुटिया के पास बैठ कर उनके हाथो उस पहाड़ी नदी का पानी पीया और एक मुराद मांगी थी कि मुझे उनके जैसे ज़िन्दगी नसीब हो यह खुदा के फजल कहूँगी कि मुझे वह मुराद मिली है
२)शायरी की पहली लो मुझे वारिस के अक्षरों में दिखाई दी और नस्र का नया कोण शरदचंद्र के अक्षरों में
३)ज्ञान के क्षेत्र में रजनीश का कोई सानी नहीं अंतर्मन की मिटटी में पड़े हुए बीज का इल्म की किरण का मिलन मैंने रजनीश के चिंतन में देखा
४) सामाजिक क्षेत्र में मुझे किसी व्यक्ति ने प्रभावित नहीं किया है लेकिन महाराष्ट्र के एक गांव शनिसिंग्नापुर ने जरुर किया है इस गांव में सदियों से कोई चोरी नहीं हुई है और यहाँ कोई ताला नहीं लगाया जाता है ,घर के बीतर जाने के रास्ता है पर कोई दरवाजा नहीं कोई सांकल नहीं घरों में जैसे दाल चावल रखे जाते हैं वैसे ही सोना चांदी रखे जाते हैं और कोई चोरी नहीं करता है
५) राजीनति के क्षेत्र में मुझे जवाहर लाल नेहरु और वियतनाम के प्रधनमंत्री हो -ची -मिन्ह ने प्रभावित किए है नेहरु जी से हुई मुलाकातें मैंने एक जगह लिखा है कि मुझे बहुत सहज लगी है कहीं भी कोई संकोच नहीं जो किसी में नहीं मिला आज तक ,यह आत्मा के सहज सोंदर्य के बिना संभव नहीं है और हो -ची- मिन्ह से हुई मेरी मुलाक़ात भी उसी आयाम की बात है जो दुनिया की राजनीति का अगर एक पहलु बन जाए तो दुनिया की सूरत ही बदल जाए
६) सुलतान बाहू के हर्फ में मैंने धर्म क्षेत्र को पहचाना ईमान सलामत हर कोई छाए इश्क सलामत कोई हु जिस मंजिल को इश्क ले जाए ईमाने खबर न होई हु
७) आम ज़िन्दगी में मैं अपने पिता से बहुत प्रभावित हुई जिन्होंने दुनिया से कुछ लेने की मेरी छोटी उम्र की नासमझ तमन्ना को एक बार माथे पर तेवरी चढ़ा कर देखा था और मैं उसी क्षण बड़ी हो गयी
८) दर्शन के क्षेत्र में दो नाम मैं एक साथ लेना चाहूंगी आइनरेंड और विवेकानंद आईनरेंड ने बीज रूप में इन्डिविजुललिटी की पहचान पाई है और विवेकानंद ने उस बीज के विकसित होने में जहाँ इन्डिविजुललिटी युनिवर्सल इन्डिविजुललिटी बन जाती है
9 comments:
रजनीश जी तो हमारे जबलपुर के ही माने जाते हैं. भंवरताल उद्यान के मोलिश्री वृक्ष के नीचे ही उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हुई,
शनि सिग्नापुर भी मैंने देखा है, कहते हैं जो वहाँ चोरी करता है वह अंधा हो जाता है
और पिता जी तो की ऊँचाई की तुलना आकाश से ही की जाती है.
"तू नहीं आया" भी पढ़ी.
एक दिशा बोधी प्रविष्टि है ये.
- विजय तिवारी 'किसलय' जबलपुर.
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
यह पोस्ट पढ़कर एक मुराद मांगने को दिल करता है...
मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
http://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html
हमेशा की तरह अमृता जी को पढ़ना दिल को भा गया .........बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
आज बहुत दिनो बाद अमृता जी को पढना बहुत अच्छा लगा…………………आभार्।
धन्यवाद !
अमृता जी के विचारों को बाटने के लिए .
हमेशा की तरह शानदार प्रस्तुति। रंजू जी अपना फोन नो एक बार जरूर दोबारा मेल करें आपसे बात करनी है। धन्यवाद।
आपका यह आलेख पढना मन को राहत दे गया।
अमृता जी अपने साहित्य के रूप में सदैव अमर ही रहेंगी |
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