अमृता तो
वारिस शाह के कुल से जन्मी
कोई लड़की है
बीसवीं सदी में
शब्द सूत कात रही है
कहती है --
मैंने तो डलिया में से
कुछ पूनियां ही काती है
और काते बैठी है
दोनों पंजाब की सारी रुई ....
एक सदी जा रही है
अंतिम पलों में है
एक नदी जा रही है
अंतिम क़दमों में है
समंदर की और बह रही है
समन्दर को पता है
वह और हो जाएगा बड़ा
समन्दर सोचता है
कैसे करूँगा मैं उसका स्वागत
कौन सा होगा उसका प्रवेश द्वार
कौन स होगा उसका स्वागती द्वार
पूरा समन्दर नदी के स्वागत में है
तब नदी हो जाएगी समन्दर
धरती सोचेगी --मैं अब वह नहीं रही
समन्दर धाराओं से कहता है
तुमको बनना है कुरान की आयतें
मुझकों बनना है धर्म ग्रन्थ की देह
इस तरह हम चिंतन यज्ञ रचाएं
हो सकेगा --मेरी बच्ची का स्वागत !!!
वारिस शाह के कुल से जन्मी
कोई लड़की है
बीसवीं सदी में
शब्द सूत कात रही है
कहती है --
मैंने तो डलिया में से
कुछ पूनियां ही काती है
और काते बैठी है
दोनों पंजाब की सारी रुई ....
एक सदी जा रही है
अंतिम पलों में है
एक नदी जा रही है
अंतिम क़दमों में है
समंदर की और बह रही है
समन्दर को पता है
वह और हो जाएगा बड़ा
समन्दर सोचता है
कैसे करूँगा मैं उसका स्वागत
कौन सा होगा उसका प्रवेश द्वार
कौन स होगा उसका स्वागती द्वार
पूरा समन्दर नदी के स्वागत में है
तब नदी हो जाएगी समन्दर
धरती सोचेगी --मैं अब वह नहीं रही
समन्दर धाराओं से कहता है
तुमको बनना है कुरान की आयतें
मुझकों बनना है धर्म ग्रन्थ की देह
इस तरह हम चिंतन यज्ञ रचाएं
हो सकेगा --मेरी बच्ची का स्वागत !!!