मैंने दोस्ती का
ज़राबख्तर पहन लिया है
और नंगे बदन को
अब कुछ नहीं छूता
न दुश्मन का हाथ छूता है
न मेरे दोस्त की बाहें
मैंने दोस्ती का
ज़राबख्तर लिया है
मैं खुश हूँ ,
पर आप क्यों पूछते हैं
कि कुछ खुशियाँ
इतनी उदास क्यों होती है ?
अभी कुछ उड़ती चिडियाँ
मेरे माथे पर बैठ गयी थी
शायद ज़राबख्तर को
एक पेड़ की हरियाली समझ कर
पर लोहे के पत्तो को चोंच मारकर
अव अभी चिचियाई थी
और मेरे माथे से उड़ गयी हैं
बावरी चिडियां
ज़राबख्तर भी कभी
चिडियों से डरा है ?
पर शायद कोई चोंच
मांस पर भी लगी थी
मेरे माथे का मांस
कुछ दुखता सा लगता है
वक़्त ने अब गले से
हर वस्त्र उतार दिया है
सिर्फ तीन जोड़े ही थे
एक भूत का
एक वर्तमान का
और एक भविष्य का
और नंगा वक़्त
अब कोने में खडा
कुछ लजाया सा लगता है
या उसकी नंगी पीठ पर
यह जो कुछ सिसकता है
यह मेरी आँखों का अक्स है ?
या उसने अपनी नहीं
मेरी नग्नता को पीया है ?
पर मैं ....
मैं तो इस समय नग्न नहीं
मैंने दोस्ती का ज़राबख्तर पहन लिया है --
@विदु जी ओम् जी यहाँ "ज़राबख्तर '"ही है और इसका मतलब होता है "कवच ."..अमृता की यह नज्म बेहद पसंद है मुझे ..इतने गहरे अर्थ लिए और अपनी बात इस तरह से सिर्फ़ वही कह सकती हैं ......
ज़राबख्तर पहन लिया है
और नंगे बदन को
अब कुछ नहीं छूता
न दुश्मन का हाथ छूता है
न मेरे दोस्त की बाहें
मैंने दोस्ती का
ज़राबख्तर लिया है
मैं खुश हूँ ,
पर आप क्यों पूछते हैं
कि कुछ खुशियाँ
इतनी उदास क्यों होती है ?
अभी कुछ उड़ती चिडियाँ
मेरे माथे पर बैठ गयी थी
शायद ज़राबख्तर को
एक पेड़ की हरियाली समझ कर
पर लोहे के पत्तो को चोंच मारकर
अव अभी चिचियाई थी
और मेरे माथे से उड़ गयी हैं
बावरी चिडियां
ज़राबख्तर भी कभी
चिडियों से डरा है ?
पर शायद कोई चोंच
मांस पर भी लगी थी
मेरे माथे का मांस
कुछ दुखता सा लगता है
वक़्त ने अब गले से
हर वस्त्र उतार दिया है
सिर्फ तीन जोड़े ही थे
एक भूत का
एक वर्तमान का
और एक भविष्य का
और नंगा वक़्त
अब कोने में खडा
कुछ लजाया सा लगता है
या उसकी नंगी पीठ पर
यह जो कुछ सिसकता है
यह मेरी आँखों का अक्स है ?
या उसने अपनी नहीं
मेरी नग्नता को पीया है ?
पर मैं ....
मैं तो इस समय नग्न नहीं
मैंने दोस्ती का ज़राबख्तर पहन लिया है --
@विदु जी ओम् जी यहाँ "ज़राबख्तर '"ही है और इसका मतलब होता है "कवच ."..अमृता की यह नज्म बेहद पसंद है मुझे ..इतने गहरे अर्थ लिए और अपनी बात इस तरह से सिर्फ़ वही कह सकती हैं ......
16 comments:
बहुत अच्छी रचना
===================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
अमृता जी की इतनी अच्छी रचना पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया..
मैंने दोस्ती का ज़राबख्तर पहन लिया है --...
मेरी भी पसंदीदा और सर्वकालिक रचना .
रंजना जी
सिर्फ कवच इसका अर्थ लगना सही होगा क्या? क्योकि यह दो शब्दो के मेल से बना एक शब्द है जरा- पुराना
बख्तर- जिसका अर्थ होता है बकतर यानि कवच
गुश्ताखी के लिये माफी चह्ती हूँ
कविता इतनी अच्छी है कि लोक से परलोक तक ले जाती है यानि बोले तो पुरी तरह से रुहानी लगता है..........कविता से रु-ब-रु करवाने के लिये बहुत बहुत
शुक्रिया ........
इस कालजयी रचना को पढवाने के लिये आभार आपका.
रामराम.
अभी कुछ उड़ती चिडियाँ
मेरे माथे पर बैठ गयी थी
शायद ज़राबख्तर को
एक पेड़ की हरियाली समझ कर
पर लोहे के पत्तो को चोंच मारकर
अव अभी चिचियाई थी
और मेरे माथे से उड़ गयी हैं
sach behad khubsurat nazm hai,shukran
वाह जी वाह बहुत ही अच्छी रचना है मजा आ गया धन्यवाद
ये शब्द हैं या कुछ और ही....!!.....अगर अमृता जी के हैं तब तो कुछ और ही होने ठहरे.....इन्हें पढ़कर बावला होते-होते रह जाता हूँ....बस यही गनीमत है....!!
"मैं खुश हूँ ,
पर आप क्यों पूछते हैं
कि कुछ खुशियाँ
इतनी उदास क्यों होती है?"
इन पंक्तियों को पढ़कर वो गज़ल याद आ गई... "तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो"
Bahut sunder kavita parwai apne...
नजर का दरिया ......
और काया रात भर bahati रही
deen का यह जिक्र था
जो दुनिया रात भर कहती रही
BEAUTIFUL BLOG RANJANJI ! BADHAIYAN.!
AMRITA PREETAM IS A GREAT POET INDEED.
YOUR FAVOURITE MOOVIE RAINCOAT IS REALY FANTASTIC . I WATCHED IT TWO DAYS AGO ON MY COMPUTER .
WITH BEST WISHES
---AJIT PAL SINGH DAIA
समझ में नही आयी ...थोडा एक दो बार और पढू !
रंजना जी मुझे लगता है कि आपकी "ज़राबख्तर" शायद अमृता जी ही हैं। बहुत-2 शुक्रिया उनकी यह नज़्म पढ़वाने के लिए
AMRIT Sahitya Ka Jarabakhtar[kavach]Aapne Dhaaran Kiyaa Hai Yeh Surakshit,Sundar Aur Istri[lady]Ki Sampoorn Bhaavnaa Hai.Sadhuvaad
:)
Post a Comment