जब अपने पास सिर्फ एक शाम होती थी
हर शाम हम मिलते थे
और छोटी सी इस शाम के मद्धिम हो रहे रंगों में
चुपचाप एक दूसरे को देखते
चलते रहते ..चलते रहते
और अपनी शाम पार कर लेते ...
फिर वक़्त आया
अपनी शाम अपनी उम्र जितनी हो गयी
और अपने आंगन में हर रोज़
सुबह के रंगों में दोपहर के रंग
और दोपहर के रंगों में शाम के रंग
और शाम के रंगों में चांदनी के रंग
मिलते रहे .....
जब भी इन रंगों का दिल आता
ये सब मिल कर
कभी तेरे कमरे में चले जाते
तेरे पास बैठते तेरी कविता के रंग देखते
और कभी तुम्हे देखते
कभी यह मेरे कमरे में आ जाते
मेरे रंगों से तब तक खेलते
जब तक मैं पेंट करता रहता
और फिर आँगन में जा कर
धूप छांव के साथ खेल खेलते दिखते
ये सारे रंग कभी तस्वीर
दिखते और कभी कविता ........
इमरोज़
हर शाम हम मिलते थे
और छोटी सी इस शाम के मद्धिम हो रहे रंगों में
चुपचाप एक दूसरे को देखते
चलते रहते ..चलते रहते
और अपनी शाम पार कर लेते ...
फिर वक़्त आया
अपनी शाम अपनी उम्र जितनी हो गयी
और अपने आंगन में हर रोज़
सुबह के रंगों में दोपहर के रंग
और दोपहर के रंगों में शाम के रंग
और शाम के रंगों में चांदनी के रंग
मिलते रहे .....
जब भी इन रंगों का दिल आता
ये सब मिल कर
कभी तेरे कमरे में चले जाते
तेरे पास बैठते तेरी कविता के रंग देखते
और कभी तुम्हे देखते
कभी यह मेरे कमरे में आ जाते
मेरे रंगों से तब तक खेलते
जब तक मैं पेंट करता रहता
और फिर आँगन में जा कर
धूप छांव के साथ खेल खेलते दिखते
ये सारे रंग कभी तस्वीर
दिखते और कभी कविता ........
इमरोज़
11 comments:
ये सारे रंग कभी तस्वीर
दिखते और कभी कविता
इमरोज जी की बढ़िया रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद.
बहुत लाजवाब रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
achchghi lagi rachna.badhaai ho
और फिर आँगन में जा कर
धूप छांव के साथ खेल खेलते दिखते
ये सारे रंग कभी तस्वीर
दिखते और कभी कविता ........
Behtreen kavita...
achchi lagi ye isk ki painting.
ये रचना पहले नही पढी मैंने। इसलिए इसे पढवाने का शुक्रिया।
जब भी इन रंगों का दिल आता
ये सब मिल कर
कभी तेरे कमरे में चले जाते
तेरे पास बैठते तेरी कविता के रंग देखते
और कभी तुम्हे देखते
कभी यह मेरे कमरे में आ जाते
मेरे रंगों से तब तक खेलते
जब तक मैं पेंट करता रहता
सच बेहतरीन लफ़्ज लिये हुए। दिल को भा गई।
Thanks.
शानदार है.. बहुत ही शानदार
bahut hi sundar bhav-------padhvane ke liye shukriya.
बहुत ही अच्छी रचना को प्रस्तुत किया.
जब भी इन रंगों का दिल आता
ये सब मिल कर
कभी तेरे कमरे में चले जाते
तेरे पास बैठते तेरी कविता के रंग देखते
और कभी तुम्हे देखते
कभी यह मेरे कमरे में आ जाते
मेरे रंगों से तब तक खेलते
जब तक मैं पेंट करता रहता
इतनी खूबसूरत रचना..........ऐक पेंटर रंगों को कल्पना में बाँध देता है जैसे ऐक कवि ख्वाबों को कल्पना में उड़ाता है.
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